अगर आप कक्षा बारहवीं के छात्र हैं और इस बार इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए तैयारी कर रहे हैं तो यहां पर आपके लिए कक्षा 12 राजनीतिक शास्त्र का लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर दिया हुआ है जो कि आने वाले इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और साथ में यहां पर ( Inter Board Exam 2024 Political Science Question Answer ) बिहार बोर्ड कक्षा 12 राजनीतिक शास्त्र का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर भी मिल जाएगा।
दोस्तों यह सभी प्रश्न आपके इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए बहुत-बहुत महत्वपूर्ण है राजनीति शास्त्र का लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर इसलिए इन सभी प्रश्नों को याद जरूर करें तथा अपने कॉपी में लिख ले ताकि आने वाले इंटर बोर्ड परीक्षा 2024 के लिए कोई दिक्कत का सामना ना करना पड़े।
राजनीतिक शास्त्र ( लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर ) |PART – 2 |
लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर राजनीति विज्ञान कक्षा 12
Q.31. एकध्रुवीय व्यवस्था का आशय स्पष्ट करें।
Ans :- शीतयुद्ध के समय (1945-91) दो अलग-अलग गुटों में शामिल देशों के बीच शक्ति का बँटवारा था शीतयुद्ध के समय सं० रा. अमेरिका और सोवियत संघ इन दो अलग-अलग शक्ति-केद्रों के अगुआ थे। सोवियत संघ के पतन के बाद दुनिया में एकमात्र महाशक्ति अमेरिका बचा। जब अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था किसी एक महाशक्ति या कहें कि उद्धत महाशक्ति के दबदबे में हो तो बहुधा इसे ‘एकध्रुवीय’ व्यवस्था भी कहा जाता है। भौतिकी के शब्द ‘ध्रुव’ का यह एक तरह से भ्रामक प्रयोग है। अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में ताकत का एक ही केंद्र हो तो इसे ‘वर्चस्व’ (Hegemony) शब्द के इस्तेमाल से वर्णित करना ज्यादा उचित होगा।
Q.32. यूरोपीय संघ और आसियान के दो सामान्य उपयोगी निर्णयों का उल्लेख कीजिए।
Ans :- (i) यूरोपीय संघ और आसियान, दोनों ने ही अपने-अपने इलाके में चलने वाली ऐतिहासिक दुश्मनियों और कमजोरियों का क्षेत्रीय स्तर पर समाधान ढूंढा।
(ii) साथ ही इन्होंने अपने-अपने इलाकों में अधिक शांतिपूर्ण और सहकारी क्षेत्रीय व्यवस्था विकसित करने की तथा इस क्षेत्र के देशों की अर्थव्यवस्थाओं को समूह बनाने का दिशा में काम किया है।
Q. 33. भारत मानव अधिकार का प्रबल समर्थक क्यों है ? तीन का स्पष्ट कीजिए।
Ans :- I. मानव अधिकार ऐसे अधिकारों को कहते हैं जो कि प्रत्येक मनुष्य को पहचान देने के नाते अवश्य ही प्राप्त होने चाहिए।
II. भारत मानव अधिकारों का प्रबल समर्थक है। इसके तीन प्रमुख कारण अग्रलिखित हैं
1. भारत का यह मानना है कि आधुनिक युग में कोई भी स्वतंत्र व लोकतांत्रिक देश मानव अधिकारों के बिना न तो प्रगति कर सकता है और न ही उस देश में शांति स्थापित कर सकती है।
2. मानव अधिकार ऐसे अधिकार हैं जो कि मानव की उन्नति व प्रगति के लिए अति आवश्यक व महत्त्वपूर्ण हैं।
3. भारत विश्व शांति तथा मानवता के उत्थान में विश्वास रखता है। इसलिए वह मानव अधिकारों का प्रबल समर्थक है।
Q. 34. प्रति वर्ष 10 दिसंबर को संपूर्ण विश्व में मानव अधिकार दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है ?
Ans :- 10 दिसंबर को संपूर्ण विश्व में “मानव अधिकार दिवस’ के रूप में इसलिए मनाय जाता है क्योंकि 10 दिसंबर, 1948 ई० को “मानव अधिकारों का घोषणा पत्र” (Charter-0 Human Rights) स्वीकार किया था। इस घोषणा-पत्र के द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के सरकारों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने नागरिकों का आदर करेंगी। मानव अधिकार । अधिकार हैं जो कि सभी मनुष्यों को मानव होने के नाते मिलने ही चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक सामाजिक परिषद् ने 1946 ई. में मानव अधिकारों की समस्य के बारे में एक आयोग की नियुक्ति की। आयोग ने 1948 ई. में अपनी रिपोर्ट संयक्त राष्ट की महासभा को प्रदान की और संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 10 दिसंबर, 1948 ई० को मान अधिकारों के घोषणा-पत्र को स्वीकृति दे दी जिसमें 20 मानव अधिकारों की एक सूची का वर्णन किया गया था। अतः प्रति वर्ष 10 दिसंबर को संपूर्ण विश्व में मानव अधिकार दिवस मनाकर प्रत्येक देश की सरकार को यह याद दिलाया जाता है कि वे अपने नागरिकों को उन्नति व विकास के लिए मानव अधिकार प्रदान करें।
Q.35. निरस्त्रीकरण शब्द को स्पष्ट कीजिए।
Ans :- निरस्त्रीकरण का अर्थ है कि मानवता का संहार करने वाले अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण बंद हो व आणविक शस्त्रों पर प्रतिबंध लगे। विश्व के अनेक देशों ने अणुबम तथा हाइड्रोजन बम बना लिए हैं और कुछ बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय शांति को दिन-प्रतिदिन खतरा बढ़ रहा है। एक देश द्वारा बनाए गए संहारक शस्त्रों का उत्तर दूसरा देश अधिक विनाशक शस्त्र का निर्माण करके देता है। भारत प्रारंभ से ही निरस्त्रीकरण के पक्ष में रहा है। इस दृष्टि से संसार में होने वाले किसी भी सम्मेलन का भारत ने स्वागत किया है। 1961 ई. में भारत ने अणुबम न । बनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्रसंघ की साधारण सभा में रखा था। जेनेवा में होने वाले निरस्त्रीकरण सम्मेलन में भारत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंत में हम यह कह सकते हैं कि निरस्त्रीकरण, में ही विश्व का कल्याण निहित है।
Q.36. जन आंदोलन की प्रकृति पर अतिलघु टिप्पणी लिखिए।
Ans :- जन आंदोलन वे आंदोलन होते हैं। जो प्राय: समाज के संदर्भ या श्रेणी के क्षेत्रीय अथवा स्थानीय हितों, माँगों और समस्याओं से प्रेरित होकर प्रायः लोकतांत्रिक तरीके से चलाए जाते हैं। उदाहरण के लिए 1973 ई० में चलाया गया ‘चिपको आंदोलन’ भारतीय किसान यूनियन द्वारा चलाया गया आंदोलन, दलित पैंथर्स आंदोलन, आंध्र प्रदेश ताड़ी विरोधी आंदोलन, समय-समय पर चलाए गए छात्र आंदोलन, नारी मुक्ति और सशक्तिकरण समर्थित आंदोलन, नर्मदा बचाओ
आंदोलन आदि जन आंदोलन के उदाहरण हैं।
Q. 37. सुरक्षा परिषद् के क्या कार्य हैं ? अथवा, सुरक्षा परिषद् पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
Ans :- सुरक्षा परिषद् (Security Council)-सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र की कार्यपालिका के समान है। इसके 15 सदस्य होते हैं। जिनमें 5 स्थायी सदस्य हैं–अमेरिका, इंगलैंड, फ्रांस, चीन और रूस। पहले सोवियत संघ इसका स्थायी सदस्य था परंतु जनवरी, 1992 में सोवियत संघ की समाप्ति के बाद यह स्थान रूसी गणराज्य को दे दिया गया है। इसके अन्य 10 सदस्य महासभा के द्वारा 2 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। भारत कई बार सुरक्षा परिषद् का सदस्य चुना जा चुका है। 1992 ई० में सुरक्षा परिषद् की एक विशेष बैठक हुई जिसमें इसके स्थायी सदस्यों की संख्या – बढ़ाये जाने पर जोर दिया गया और भारत का इसका स्थायी सदस्य बनाये जाने के विचार ने जोर पकड़ा। कुछ लोग स्थायी सदस्यता के प्रावधान को समाप्त करना चाहते हैं और सभी सदस्यों को समान समझे जाने पर जोर देते हैं। स्थायी सदस्य को किसी भी प्रस्ताव पर वीटो (Veto) का अधिकार है।
सुरक्षा परिषद् के कार्य निम्नलिखित हैं–
1. यह विश्व में शांति स्थापित करने के लिए उत्तरदायी है और किसी भी मामले पर जो विश्व शांति के लिए खतरा बना हुआ हो, विचार कर सकती है।”
2. यह किसी भी देश द्वारा भेजी गई किसी भी शिकायत पर विचार करती है और मामले या झगड़े का निर्णय करती है।
3. सुरक्षा परिषद् अपने प्रस्तावों या निर्णयों को लागू करवाने के लिए सैनिक कार्यवाही भी कर सकती है। इराक के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही का निर्णय सुरक्षा परिषद् ने लिया था।
Q. 38. नि:शस्त्रीकरण को परिभाषित करें। निःशस्त्रीकरण के मुद्दे पर भारत क्या भूमिका निभाता रहा है ?
Ans :- नि:शस्त्रीकरण का अर्थ है, विश्व शांति के लिए घातक हथियारों पर रोक लगाना।
निःशस्त्रीकरण में भारत की भूमिका निम्नलिखित है
(a) भारत ने घोषण की कि
(i) भारत हथियारों की दौड से बाहर रहकर आवश्यक न्यूनतम परमाणु अवरोधक शक्ति बना रहेगा।
(iii) परमाणु हथियारा क सिद्धांत को स्वीकार किया। भारत भविष्य में भमिगत परमाण विस्फोट नहीं करेगा।
” हाथयारों के संदर्भ में भारत ने स्वेच्छा से इनको पहले प्रयोग न करने के
(b) भारत ने विश्व समुदाय के समक्ष ‘पहले प्रयोग न करने’ के समझौते को परमाण हथियारों की समाप्ति की ओर एक कदम के रूप में सुझाया।
(c) भारत, संयुक्त राष्ट्र में निःशस्त्रीकरण के मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभाता रहा है। यह जेनेवा निःशस्त्रीकरण आयोग का एक सदस्य था। डॉ. होमी जहाँगीर भाभा 1955 में संयुक्त राष्ट्र के परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग के लिए हुए प्रथम सम्मेलन के निर्वाचित अध्यक्ष थे। भारत ने 1957 में वियना में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी (आई० ए० ई० ए०) के गठन में निर्णायक भूमिका निभाई थी।
(d) भारत ने 1988 में निःशस्त्रीकरण को समर्पित संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व को परमाणु हथियारों से मुक्त और अहिंसक विश्व व्यवस्था बनाने के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत की।
Q.39. संयुक्त राष्ट्र का महासचिव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
Ans :- संयुक्त राष्ट्र महासचिव (The Secretary General of United Nations)-संयुक्त राष्ट्र के कार्यों का संचालन करने के लिए एक सचिवालय है। इसके अध्यक्ष को महासचिव कहा जाता है। सर्वप्रथम नार्वे के त्रिगवेली प्रथम महासचिव बने थे। वर्तमान महासचिव काफी अन्नान हैं। ये दोबारा निर्वाचित हुए हैं। महासचिव के प्रमुख कार्य निम्नलिखित होते हैं
1. महासचिव सुरक्षा परिषद, आर्थिक तथा सामाजिक परिषद आदि की बैठकों को आमंत्रित करता है।
2. संघ के विभिन अंगों के द्वारा लिये गये निर्णयों को लागू करता है।
3. यदि विश्व में कहीं भी शांति को खतरा पैदा होता है तो उसकी सूचना सुरक्षा परिषर । को देता है।
4. सचिवालय के सारे कार्यों की रिपोर्ट महासभा को देता है।
5. अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाना, अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का सर्वेक्षण, अंतराष्ट्रीय गोष्ठिर | का आयोजन आदि।
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Q. 40. संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
Ans :- . संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत (Principles of United Naitons)-संयुक्त राष्ट्र अप उद्देश्यों की सिद्धि के लिए निम्नलिखित सिद्धांतों के अनुसार कार्य करता है
1. संयुक्त सभी सदस्यों की प्रभुसत्ता और समानता के सिद्धांत में विश्वास रखता है।
2. सभी सदस्य राष्ट्रों का यह कर्तव्य है कि इस चार्टर के अनुसार उनकी जो जिम्मेदारिया हैं, वे ईमानदारी के साथ निभाएँ।
3. सभी सदस्य राष्ट्र अपने विवादों का निपटारा शांतिपूर्ण तरीकों से करें।
4. अन्य राष्ट्रों की अखण्डता और राजनीतिक स्वाधीनता का आदर करें।
5. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार कोई कार्यवाही करे तो सभी सदस्य राष्ट्रों को उसको सहायता करनी चाहिए।
6. संयुक्त राष्ट्र उन मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा जो अनिवार्य रूप से किसी राज्य के आन्तरिक अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
Q.41. पहला मुटनिरपेक्ष सम्मेलन कब और कहाँ हुआ था? यह कौन-सी तीन बातों की परिणति (Culnination) था ?
Ans :- I. पहला गुट निरपेक्ष सम्मेलन 1961 ई० में बेलग्रेड में हुआ था।
II. पहला गुटनिरपेक्ष सम्मेलन कम-से-कम निम्नलिखित तीन बातों की परिणति था
1. पाँच देशों (भारत, मिस्र, यूगोस्लाविया, इण्डोनेशिया तथा घाना) के बीच सहयोग।
2. शीतयुद्ध का प्रसार और इसके बढ़ते हुए दायरे को रोकना आदि।
3. अंतर्राष्ट्रीय फलक (Arena) पर कई नव स्वतंत्र अफ्रीकी राष्ट्रों का नाटकीय उदय हो चुका था। सन् 1960 ई. तक 16 नये अफ्रीकी देश संयुक्त राष्ट्र (UNO) में सदस्यता ग्रहण कर चुके थे।
Q.42. भारत में नियोजन से आप क्या समझते हैं ?
Ans :- नियोजन अनिवार्यतः एक प्रयास है ताकि समस्याओं का विवेकशील समाधान किया जा सके। आर्थिक नियोजन का अर्थ है समुदाय के उपलब्ध संसाधनों का प्रभावी तरीके एक उपयोग करना। तेजी से आर्थिक विकास करना तथा रोजगार का विस्तार करना, आय व धन की असमानता को कम करना, आर्थिक सत्ता के सकेन्द्रण को रोकना तथा एक स्वतंत्र व समान समाज के मूल्यों व रुझान की रचना ही हमारी योजनाओं के लक्ष्य रहे हैं।
Q.43. काँग्रेस सिंडिकेट का अर्थ बतलावें।
Ans :- यह काँग्रेस के पुराने व वरिष्ठ नेताओं का गुट था जिसने इंदिरा गाँधी को सत्ता से वंचित करने हेतु उन्हें दल की प्राथमिक सदस्यता से वंचित कर दिया।
Q.44. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी एवं दक्षिणी अफ्रीका के अफ्रीकन नेशनल काँग्रेस पार्टी के समानताओं का वर्णन करें।
Ans :- भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी एवं दक्षिणी अफ्रीका के अफ्रीकन नेशनल काँग्रेस पार्टी की समानताएँ-
(i) अखिल राष्ट्रीय स्तर का चरित्र ।
(ii) राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत – संगठन।
Q.45. निषेधाधिकार (Veto) से क्या अभिप्राय है ?
Ans :- सुरक्षा परिषद् में कुल 15 सदस्य होते हैं। इनमें 5 स्थायी सदस्य तथा 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। प्रक्रिया सम्बन्धी विषयों (Procedural matters) पर कोई निर्णय तभी लिया जाएगा जब 15 में से 9 सदस्यों के सकारात्मक मत होंगे परंतु अन्य महत्त्वपूर्ण मामलों में जिनमें आर्थिक
या सैनिक कार्यवाही शामिल है, किसी निर्णय के लिए पाँचों स्थायी सदस्यों का मत भी अनिवार्य – है। इस प्रकार किसी भी स्थायी सदस्य का नकारात्मक मत होने की स्थिति में सुरक्षा परिषद् कोई सक्षम कार्यवाही नहीं कर सकेगी। इसी को निषेधाधिकार (Veto) कहा गया है।
Q.46. संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रधान अंग बताइए।
Ans :- संयुक्त राष्ट्र के प्रधान अंग (Main organs of U.N.)
(i) संयुक्त राष्ट्र महासभा,
(ii) सुरक्षा परिषद्,
(iii) आर्थिक व सामाजिक परिषद्,
(iv) न्यास-परिषद्,
(v) अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय,
(vi) सचिवालय
Q.47. संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना के प्रयासों में भारत के योगदान का वर्णन कीजिए।
Ans :- भारतीय सेना को शांति स्थापित करने एवं युद्ध विराम को सुनिश्चित बनाने के लिए कोरिया. भेजा गया। भारतीय सेना ने प्रायः संयुक्त राष्ट्र की सभी प्रमुख कार्यवाहियों में भाग लिया। न केवल प्रारंभिक वर्षों में ही भारत ने कोरिया, मिस्र और कांगो जैसी शांति निर्माण कार्यवाहियों में भाग लिया अपितु पिछले वर्षों में भी भारत ने सोमालिया, अंगोला और रंवाडा में इसी प्रकार
की कार्यवाहियों में भाग लिया। भारत के ले. जनरल सतीश नाम्बियार ने बाल्कन युद्ध में संयुक्त राष्ट्र सेना की कमान सँभाली। भारत ने संयुक्त राष्ट्र की शांति निर्माण सेना में स्वेज नहर संकट, कांगो, अंगोला, नामीबिया, गाजा, कम्बोडियो, युगोस्लाविया, लेबनान में अपनी टुकड़ियाँ भेज कर अंतर्राष्ट्रीय शांति पुनःस्थापित करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
Q.48. रंगभेद क्या है ? संयुक्त राष्ट्र द्वारा रंगभेद के विरुद्ध किये गये दो उपायों का उल्लेख कीजिए।
Ans :- रंगभेद नस्ल आधारित भेद-भाव का निकृष्टतम रूप है। यह मानवता और लोकतंत्र विरोधी है
1. संयुक्त राष्ट्र ने 1954 में दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद समर्थक सरकार के विरुद्ध राजनीतिक प्रतिबंध लगाये।
2. 1956 में संयुक्त राष्ट्र ने रोडेशिया के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंध लगाये।
Q. 49. विश्व स्वास्थ्य संघ के बारे में आप क्या जानते हैं ?
Ans :- विश्व स्वास्थ्य संघ (W.H.O.) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष संस्था है इसकी स्थापना 1948 ई० में की गई थी। इस संस्था का प्रमुख उद्देश्य सभी देशों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करना है। इसका मुख्य कार्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैंड) में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं
1. इसने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नई-नई औषधियों की खोज की है।
2. इसने नशीली वस्तुओं के प्रयोग की रोकथाम के लिए अनेक उपाय किये हैं।
3. इसने विश्व में हैजे को खत्म किया है।
4. यह तपेदिक को खत्म करने के लिए प्रयत्नशील है।
5. इसने संसार के देशों को बी. सी. जी. पैसिलिन के टीके भिजवाये हैं।
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Q.50. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Ans :- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O.) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष संस्था है। इसकी स्थापना 1946 ई. में हुई। इसका प्रमुख उद्देश्य सामाजिक न्याय के लिए प्रयास करना और श्रमिकों की दशा में सुधार लाना है। इस संस्था के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
1. विभिन्न राष्ट्रों के मजदूरों के वेतन तथा काम करने का समय आदि निश्चित करना।
2. मजदूरों में प्रचलित बेकारी को रोकना।
3. बच्चों तथा स्त्रियों को शोषण से बचाना। 4. मिल मालिकों तथा मजदूरों के बीच हुए झगड़ों को सुलझाना।
5. मजदूरों के. जीवन-स्तर को उन्नत करना तथा मजदूरों की भलाई के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन करना।
Q.51. सुरक्षा क्या है ?
Ans :- सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है खतरे से आजादी। मानव का अस्तित्व और किसी देश का जीवन खतरों से भरा होता है। तब क्या इसका मतलब यह है कि हर तरह के खतरे को सुरक्षा पर खतरा माना जाय ?
Q.52. युद्ध का क्या अर्थ है ? यह क्या देता है ?
Ans :- युद्ध का अर्थ है-विनाश। युद्ध देता है-सभी को विध्वंस, मृत्यु, आपात जन धन, हानि पीछे छोड़ देता है विकलांग, विधवाएँ, अनाथ बच्चे, भय, भयंकर बीमारियाँ और कई बार तो शहरों, गाँवों और लोगों का नामोनिशान भी मिटा देता है। युद्ध वस्तुतः किसी को सुरक्षा नहीं देता।
Q. 53. वैश्वीकरण की परिभाषा दीजिए।
Ans :- वैश्वीकरण वह प्रक्रम है जिसमें हम अपने निर्णयों को दुनिया के एक क्षेत्र में क्रियान्वित करते हैं जो दुनिया के दूरवर्ती क्षेत्र में व्यक्तियों और समुदायों के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Q. 54. नव उपनिवेशवाद क्या है ?
Ans :- नव उपनिवेशवाद परंपरागत उपनिवेशवाद का एक नया रूप है। इसके अंतर्गत एक समृद्ध तथा शक्तिशाली देश किसी कमजोर देश पर सीधे आर्थिक शोषण करने के बजाए उसका अप्रत्यक्ष रूप से शोषण करता है।
Q.55. उदारीकरण क्या है ?
Ans :- उदारीकरण का अर्थ है अर्थव्यवस्था से प्रतिबंधों को समाप्त करके उसे और अधिक प्रतिस्पर्धात्मक स्वरूप प्रदान करना, उदाहरण के नई आर्थिक नीति के फलस्वरूप निजी क्षेत्रों को और अधिक सुविधाएँ प्रदान की गई है। इस प्रकार उदारीकरण हिन्दी भाषिक शब्द उदार से बना है जिससे अभिप्राय है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को बंद तथा नियंत्रित अर्थव्यवस्था के स्थान पर एक ऐसी अर्थव्यवस्था का स्वरूप प्रदान करना जिसमें निजी क्षेत्रों का पूर्ण विकास हो सके।
– अर्थव्यवस्था के प्रतिबंधित क्षेत्रों को भी निजी क्षेत्रों के अंतर्गत लाया जाए और निजीकरण की प्रक्रिया को अपनाते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को निजीकरण के अवसर उपलब्ध कराये जाएँ।
Q.56. सुशासन से आप क्या समझते हैं ?
Ans :- शासन का सुन्दर, स्वच्छ, पारदर्शी तथा जन हितकारी रूप ही सुशासन है। समाज, राजनीति, अर्थ तथा सांस्कृतिक जीवन में व्याप्त विषमताओं की समाप्ति, जटिलताओं का सरलीकरण तथा वैयक्तिक स्तर पर सुखद अनुभूति प्रदान करना ही सुशासन है। सैद्धांतिक रूप में सुशासन एक अवधारणा है, जो शासन को व्यावहारिक, विस्तृत तथा प्रभावकारी बनाता हैं। लोककल्याणकारी राज्य के समर्थक जन-कल्याण को प्रभावी रूप में सम्पन्न करने वाली शासन को ही सुशासन का नाम दिया जाता है। यह एक सतत प्रक्रिया है। – संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम में सुशासन की स्थापना जैसे अवधारणा को बहुआयामी माना जाता है। इसके द्वारा न केवल कानून के शासन को लागू किया जाता है बल्कि बिना किसी के दबाव सबको समान कानूनी संरक्षण भी प्रदान किया जाता है। लोकतंत्र में इसका संबंध आधुनिकीकरण से भी है।
Q.57. राजनैतिक न्याय से आप क्या समझते हैं ?
Ans :- राजनैतिक न्याय का अर्थ राज्य सत्ता एवं जनता के आपसी संबंधों से लिया जाता है। मपीसी राज्य क्रांति, अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा एवं मानव अधिकारों की घोषणा में भी इस । बल दिया गया है। मानव अधिकारों की घोषणा में स्पष्ट कहा गया है कि “प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश की शासन व्यवस्था में हाथ बँटाने का अधिकार है”। स्पष्ट है कि प्रत्येक व्यक्ति को ना किसी भेदभाव के राजनीतिक अधिकार प्राप्त करना ही राजनीतिक न्याय है। राजनीतिक न्याय कभी संभव है जब शासन की शक्ति शासितों की इच्छा या स्वीकृति पर आधारित हों। इसके लिए
भावश्यक है कि लोकतंत्र में वयस्क मताधिकार पर आधारित स्वच्छ प्रशासन।
Q.58. “पीली क्रांति’ क्या है ?
Ans :- तेलहन की फसल में अभूतपूर्व उत्पादन लक्ष्य रखने हेतु इसे पीली क्रांति नाम दिया गया। भारत तेल उत्पादन के मामले में आत्म निर्भर हुआ है। यहाँ तेलहनी पौधों के अच्छी उपज के लिए विशेष रूप में किसानों को अच्छी बीज के साथ-साथ उसमें उपयुक्त होने वाली कीटनाशक दवाओं की भी मुख्य रूप से उपलब्धता पर ध्यान दिया गया है। यहाँ तेलहनी पौधों में मुख्यत: सरसों, तीसी, राई, कुसुम, सूर्यमुखी आदि अनेक हैं जिसमें से तेल को निकाला जाता है।
Q.59. शीत युद्ध क्या है ?
Ans :- शीत युद्ध हथियार विहीन युद्ध है। जब दो देश आपस में वैचारिक मतभेद उत्पन: लेते हैं तो इसे शीत युद्ध कहा जाता है। भारत ने सदैव शीत युद्ध की निन्दा की तथा अंतर शाति, सुरक्षा व सहयोग का समर्थन किया। धीरे-धीरे इस नीति के निहितार्थ स्पष्ट हए जिनसे भारत को विश्व में अपनी महत्त्वपूर्ण पहचान बनाने का अवसर मिला। शीत युद्ध के दौर से मख्यरूप से आज भारत-चीन, भारत-पाकिस्तान गुजर रहे हैं। इस युद्ध में सीमा पर जवानों को गोली चलानी नहीं पड़ती बल्कि इसमें दो देशों के बीच आपसी खींचातानी संचार के माध्यम से होता है।
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Q.60. एक-दलीय व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?
Ans :- जिस राजनीतिक व्यवस्था में केवल एक राजनीतिक दल हो उसे एक दलीय व्यवस्था कहा जाता है। विश्व में सिर्फ भारत ही एक मात्र ऐसा देश नहीं है जो एक दल के प्रभुत्व से गुजरा हो। विश्व के अनेक देशों में एक दल का शासन एवं प्रभुत्व रहा है। लेकिन इन देशों में एक दलीय प्रभुत्व और स्वतंत्रता के बाद भारत में एक दलीय काँग्रेस के प्रभुत्व के बीच एक बड़ा भारी अंतर है। विश्व के अन्य देशों में एक दल का प्रभुत्व लोकतंत्र के मूल्य पर स्थापित हुआ है।
Q.61. क्षेत्रीयता अथवा क्षेत्रवाद का क्या तात्पर्य है ?
Ans :- क्षेत्रवाद किसी क्षेत्र विशेष के लोगों की उस प्रवृत्ति से संबंधित है जो उनमें अपने क्षेत्र की आर्थिक, सामाजिक अथवा राजनीतिक शक्तियों की वृद्धि करने के लिए प्रेरित करती है। इस दृष्टि से क्षेत्र देश का वह भू-भाग होता है जिसमें रहने वाले लोगों के समान उद्देश्य व आकांक्षाएँ होती हैं। इस प्रकार जब किसी भौगोलिक दृष्टि से पृथक् भूखंड में रहने वाले मानव समूह में धार्मिक, सांस्कृतिक भाषायी, आर्थिक-सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक आदि दृष्टि से उसी प्रकार के अन्य भूखंड से पृथकता उत्पन्न हो जाती है तथा स्वयं की एकरूपता व समानता का विकास हो जाता है तब उस मानव समूह में अपने क्षेत्रों के हितों के प्रति पैदा हुई जागरूकता को क्षेत्रीयता या क्षेत्रवाद कहा जाता है।
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